गई भैंस पानी में: जाने के मायने बदले, यहां है भैंस और इंसान की दुर्दशा का आधुनिक चित्रण
व्यंग्य
भैंस अब भी भैंस है, पर इंसान? लगता है इंसान को भैंसों से भी ज्यादा बदलने की जरूरत है। पुराने जमाने में जब किसी काम में गड़बड़ होती थी, तो बड़े-बूढ़े एक कहावत कहते थे – “गई भैंस पानी में!” यानी समझ लो कि काम खराब हो गया। लेकिन अब? भैंसों का पानी में जाना तो एक अलग ही ट्रेंड बन चुका है।
आजकल, भैंसें न केवल पानी में जा रही हैं, बल्कि उनका हॉट टब और स्विमिंग पूल का भी सपना पूरा हो रहा है। इंसान भले ही सस्ते सॉफ्टवेयर में एरर झेलता रहे, पर भैंसें एसी लगे डब्बे में कूल-कूल फीलिंग के साथ आराम फरमा रही हैं। कूल भैंसें और गर्म दिमाग इंसान- वाह, क्या दौर आया है।
भैंस के जाने के मायने बदले
पहले “भैंस पानी में गई” कहने का मतलब था कि अब कुछ नहीं हो सकता। परंतु आजकल भैंस का पानी में जाना नई उपलब्धि मानी जाती है। भैंस मालिक एकदम गर्व से कहता है, “अरे भाई, मेरी भैंस ने इस बार स्विमिंग कॉम्पिटिशन में गोल्ड जीता है।” भैंसों ने तैराकी में इतनी महारत हासिल कर ली है कि इंसान बस किनारे खड़ा होकर ताली बजाता रह जाता है।
भैंस और टेक्नोलॉजी का मेल
अब ये भी मत सोचो कि भैंसें बस पानी में ही रह गई हैं। नहीं भाई, आजकल भैंसें डिजिटल हो गई हैं। जिस भैंस को आप गांव के तालाब में आराम से नहाता देखते थे, अब वही भैंस आपके पास स्मार्टफोन में “गौ-नेविगेटर” ऐप से लोकेशन शेयर कर रही है। आप कहेंगे, “भैंस, तुम कहां हो?” तो जवाब मिलेगा, “स्विमिंग मोड ऑन, वाटर लेवल 3 फीट।”
भैंस और इंसान की दोस्ती
अब भैंसों ने इंसान को ऐसा आईना दिखा दिया है कि आदमी सोचता है, “कहीं मैं भी तो पानी में नहीं जा रहा?” भैंसें तो अपनी ठंडी-ठंडी जिंदगी जी रही हैं, और इंसान? बेचारा ईएमआई, पेट्रोल के दाम और ऑनलाइन फॉर्म भरने में उलझा हुआ है। भैंस तो बिना किसी टेंशन के, अपनी लाइफ जी रही है- “नो स्ट्रेस, जस्ट कूलनेस।”
तो क्या भैंस फिर से पानी में जाए?
आधुनिक युग में भैंस का पानी में जाना एकदम सही है। आखिरकार, महल गम है और स्विमिंग तो बनती है। इंसान भी भैंस से सीखकर थोड़ी ठंडक अपनी लाइफ में ला सकता है। बस, यही दुआ है कि भैंस के पानी में जाने से अब कहावत नहीं, बल्कि कूलनेस और रिलैक्सेशन का नया दौर शुरू हो।
तो अगली बार जब कोई कहे, “गई भैंस पानी में,” तो हंसिए मत, कहिए, “चलो, भैंस मजे में है।”